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Wednesday, March 4, 2020

4 बाते about destiny by Narendra yadav

बहुत सारे लोग किस्मत को मानते हैं कि जो किस्मत में लिखा होता है वहीं होता है। इसलिए वे अपने काम में सही ढंग से मेहनत नहीं करते और असफल हो जाते हैं। कुछ लोगो का ये सवाल भी है कि किस्मत होती हैं या नहीं?
1. हम लोग उन लोगों पर विश्वास कर लेते हैं जो यह कहते हैं कि तुम चाहे जितनी मेहनत कर लो, होगा वहीं जो किस्मत में लिखा होगा। अर्थात् वे हमारा हौसला तोड़ रहे हैं और हम फिर भी उन पर विश्वास कर लेते हैं। दूसरी तरफ उन लोगों पर विश्वास नहीं करते जो हमे ये कहते हैं कि चाहे तुम में लाख कमियां हो फिर भी तुम कोशिश करते रहो, तुम कर सकते हो।
2. मां- बाप अपने सभी बच्चो के साथ समान व्यवहार करते हैं। वे उनमें भेदभाव नहीं करते कि एक को अच्छे स्कूल में एडमिशन दिलाया और दूसरे को घटिया में। इसी तरह वो भगवान भी हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि हम भी उसकी ही संतान है। वो अपनी एक संतान को नौकरी दे और एक को बेरोजगारी, एक को अमीरी दे और एक को गरीबी। वास्तव में भगवान किस्मत लिखते ही नही है बल्कि ये हम ही लोग होते हैं जो किस्मत का बहाना लेने लगते हैं और भगवान को दोष देने लगते हैं जब मेहनत करना हमारे वश में नहीं होता।
3. लोग हाथों की लकीरों से किस्मत और ज़िन्दगी को निर्धारित कर लेते है। लेकिन जिनके हाथ नहीं होते, क्या उनकी किस्मत नहीं होती? उनकी लाइफ में क्या होगा ये कैसे निश्चित होता है? मतलब किस्मत होती ही नहीं है।
तकदीर के खेल से निराश नहीं होते,
जिंदगी में कभी उदास नहीं होते,
हाथों की लकीरों पर मत करना यकीन क्योंकि
तकदीर तो उनकी भी होती हैं जिनकी हाथ नहीं होते।
अपनी किस्मत खुद लिखनी होती है ये कोई चिट्ठी नहीं है जिसे दूसरों से लिखवा लोगे।
4. प्रश्न- किस्मत पहले ही लिखी जा चुकी है, मेहनत करने से क्या मिलेगा?
उत्तर- क्या पता किस्मत में लिखा हो कि मेहनत करने से ही मिलेगा 
प्रश्न- किस्मत खराब थी इसलिए फेल हो गया?
उत्तर-। किस्मत नहीं तैयारी खराब थी।
"एक जिंदगी है इसे किसी ऐसी चीज के भरोसे मत छोड़ो जो तुमने देखी भी नहीं, खुद बनाओ।"

Monday, February 10, 2020

किस्मत होती हैं या नहीं?

क्या आपको भी यही लगता है कि आपकी जिंदगी में जो भी हो रहा है वो पहले से किस्मत में लिखा है और आप उसे बदल नहीं सकते।
किस्मत होती है या नहीं ये सवाल जरूरी ही नही है बल्कि हमें ये सोचना चाहिए कि क्या हमे इस सवाल की जरूरत भी है या नहीं।
उदाहरण के लिए अगर मेरे सामने खाने की एक प्लेट रखी हुई है तो क्या मैं ये सोचूंगा कि मेरी किस्मत में होगा तो खाना अपने आप मेरे पेट में चला जाएगा। नहीं हम ऐसा नहीं सोचते हैं। अगर भूख लगी है तो प्लेट उठाते हैं और खाना खा लेते हैं।
फिर जिंदगी की बड़ी situations मे हमे क्या हो जाता है वहां हम किस्मत के बारे में सोचने लगते हैं। उदाहरस्वरूप मुझे एक एग्जाम पास करना है ताकि जॉब मिल सके। यहां हम एग्जाम की तैयारी की बजाय किस्मत के बारे में सोचने लगते हैं कि किस्मत में होगा तो जॉब मिल जाएगी। हम ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि एग्जाम की तैयारी में मेहनत लगती है जबकि प्लेट उठाने और खाने में नहीं लगती। इसलिए लाइफ में जहां भी मेहनत करनी होती हैं वहां हम किस्मत का बहाना देकर मेहनत से बचते हैं।
किस्मत काम न करने का सिर्फ एक बहाना है।