बहुत सारे लोग किस्मत को मानते हैं कि जो किस्मत में लिखा होता है वहीं होता है। इसलिए वे अपने काम में सही ढंग से मेहनत नहीं करते और असफल हो जाते हैं। कुछ लोगो का ये सवाल भी है कि किस्मत होती हैं या नहीं?
1. हम लोग उन लोगों पर विश्वास कर लेते हैं जो यह कहते हैं कि तुम चाहे जितनी मेहनत कर लो, होगा वहीं जो किस्मत में लिखा होगा। अर्थात् वे हमारा हौसला तोड़ रहे हैं और हम फिर भी उन पर विश्वास कर लेते हैं। दूसरी तरफ उन लोगों पर विश्वास नहीं करते जो हमे ये कहते हैं कि चाहे तुम में लाख कमियां हो फिर भी तुम कोशिश करते रहो, तुम कर सकते हो।
2. मां- बाप अपने सभी बच्चो के साथ समान व्यवहार करते हैं। वे उनमें भेदभाव नहीं करते कि एक को अच्छे स्कूल में एडमिशन दिलाया और दूसरे को घटिया में। इसी तरह वो भगवान भी हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि हम भी उसकी ही संतान है। वो अपनी एक संतान को नौकरी दे और एक को बेरोजगारी, एक को अमीरी दे और एक को गरीबी। वास्तव में भगवान किस्मत लिखते ही नही है बल्कि ये हम ही लोग होते हैं जो किस्मत का बहाना लेने लगते हैं और भगवान को दोष देने लगते हैं जब मेहनत करना हमारे वश में नहीं होता।
3. लोग हाथों की लकीरों से किस्मत और ज़िन्दगी को निर्धारित कर लेते है। लेकिन जिनके हाथ नहीं होते, क्या उनकी किस्मत नहीं होती? उनकी लाइफ में क्या होगा ये कैसे निश्चित होता है? मतलब किस्मत होती ही नहीं है।
1. हम लोग उन लोगों पर विश्वास कर लेते हैं जो यह कहते हैं कि तुम चाहे जितनी मेहनत कर लो, होगा वहीं जो किस्मत में लिखा होगा। अर्थात् वे हमारा हौसला तोड़ रहे हैं और हम फिर भी उन पर विश्वास कर लेते हैं। दूसरी तरफ उन लोगों पर विश्वास नहीं करते जो हमे ये कहते हैं कि चाहे तुम में लाख कमियां हो फिर भी तुम कोशिश करते रहो, तुम कर सकते हो।
2. मां- बाप अपने सभी बच्चो के साथ समान व्यवहार करते हैं। वे उनमें भेदभाव नहीं करते कि एक को अच्छे स्कूल में एडमिशन दिलाया और दूसरे को घटिया में। इसी तरह वो भगवान भी हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि हम भी उसकी ही संतान है। वो अपनी एक संतान को नौकरी दे और एक को बेरोजगारी, एक को अमीरी दे और एक को गरीबी। वास्तव में भगवान किस्मत लिखते ही नही है बल्कि ये हम ही लोग होते हैं जो किस्मत का बहाना लेने लगते हैं और भगवान को दोष देने लगते हैं जब मेहनत करना हमारे वश में नहीं होता।
3. लोग हाथों की लकीरों से किस्मत और ज़िन्दगी को निर्धारित कर लेते है। लेकिन जिनके हाथ नहीं होते, क्या उनकी किस्मत नहीं होती? उनकी लाइफ में क्या होगा ये कैसे निश्चित होता है? मतलब किस्मत होती ही नहीं है।
तकदीर के खेल से निराश नहीं होते,
जिंदगी में कभी उदास नहीं होते,
हाथों की लकीरों पर मत करना यकीन क्योंकि
तकदीर तो उनकी भी होती हैं जिनकी हाथ नहीं होते।
4. प्रश्न- किस्मत पहले ही लिखी जा चुकी है, मेहनत करने से क्या मिलेगा?
उत्तर- क्या पता किस्मत में लिखा हो कि मेहनत करने से ही मिलेगा
प्रश्न- किस्मत खराब थी इसलिए फेल हो गया?
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